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यह बहते हुए रक्तस्राव को रोकता है। यह टूटी हड्डियों को जोड़ता है।
इससे स्किन पर लाल चकत्ते पड़ सकते हैं और स्किन पर जलने के निशान बन सकते हैं. ऐसे में टूथपेस्ट का इस्तेमाल दांतों तक सीमित रखने में ही समझदारी है.
पत्ते: इसके पत्ते मलरोधक होते हैं। यह चरपरे, रुचिकारक, खांसी, वात, कफ और पाइल्स को दूर करते हैं।
भूख की कमी या भोजन से अरुचि की समस्या को ठीक करने के लिए बबूल या कीकर की फली का अचार लें। इसमें सेंधा नमक मिलाकर खिलाएं। इससे भूख बढ़ती है, और जठराग्नि प्रदीप्त होती है।
मसाला
इसी तरह बबूल की कोमल टहनियों से दातून करने से भी दांतों की बीमारी ठीक होती है। दांत मजबूत होते हैं।
बालों के लिए उपयोगी बबूल की पत्तियों को रीठा कंसंट्रेट के साथ मिलाकर बालों में लगाने से बालों का झड़ना बंद हो जाता है साथ ही रूसी और बालों के पतलेपन से भी निजात मिलती है। इसके इस्तेमाल से बालों की ग्रोथ में सुधार आता है।
यह बबूल की प्रजाति का पेड़ है। यह छोटा वृक्ष होता है, जिसमें कांटे होते हैं। इसकी छाल पतली तथा गहरे भूरे रंग की होती है। पुराना हो जाने पर काले रंग के हो जाती है। इसके पौधे से रस निकलता है, जिसका प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है।
बबूल का गोंद शीतल, चिकना और पोषक होता है। यह get more info खांसी, लिकोरिया, पेचिश, मूत्राघात, मूत्रकृच्छ आदि में उपयोगी है। गोंद में कैल्शियम, मैगनिशियम, पोटैशियम, मैलिक एसिड, चीनी और नमी पायी जाती है।
बबूल के गोंद को घी में तलकर, पाक करके सेवन से वीर्य बढ़ता है।